Month: December 2015
74 किमी, 14 लेन का बनेगा दिल्ली-डासना-मेरठ सुपर हाइवे, 40 मिनट में दिल्ली से मेरठ
Here’s the Secret to Sticking to Your New Year’s Resolution
It’s all in what’s at stake
Source: Here’s the Secret to Sticking to Your New Year’s Resolution
sree RAAM
अयोध्या विवाद का सर्वसम्मत समाधान, नहीं चाहते सेक्यूलर महान !
Posted: 26 Dec 2015 04:28 AM PST अभी 2016 के आगमन में भी चार दिन शेष हैं, किन्तु 2017 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की चौसर बिछना अभी से प्रारम्भ हो गई है | न केवल संघ परिवार, भाजपा, शिवसेना जैसी हिंदुत्ववादी शक्तियां सक्रिय हो गई है, वरन धुर समाजवादी सेक्यूलर ताकतों में भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर सकारात्मक स्वर गूंज रहे हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि उत्तर प्रदेश के चुनावों में यह मुद्दा कितना प्रबल होकर उभरने वाला है |राम मंदिर मुद्दे को हवा देने के लिए विश्व हिन्दू परिषद द्वारा अयोध्या में पत्थर तरासी का काम तेज कर दिया गया है | अभी पिछले दिनों दो ट्रक पत्थर वहां पहुंचे | इस विषय को लेकर जब उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त श्री ओमपाल नेहरा से विगत 23 दिसंबर को बिजनौर में पत्रकारों ने सवाल किया, तो उन्होंने जबाब दिया कि अयोध्या और मथुरा में मंदिरों का निर्माण होना चाहिए तथा मुसलमानों को भी इस कार्य में सहयोग करना चाहिए | यह अलग बात है कि उनके इस बयान से अकबकाये मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नेहरा जी को अविलम्ब पदच्युत कर दिया । किन्तु संकेत साफ़ है कि आमजन अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण चाहता है, श्री नेहरा का बयान जनभावना का प्रगटीकरण ही है |अब सवाल उठता है कि क्या नेहरा ने कुछ गलत कहा ? उन्होंने केवल इतना ही कहा था कि अगर मुसलमान आगे आकर राम मंदिर निर्माण में सहयोग करें तो विश्व हिन्दू परिषद् जैसे संगठनों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा | उन्होंने कहा था कि यह एक भावनात्मक मुद्दा है | राम मंदिर का निर्माण अगर अयोध्या में नहीं होगा तो कहाँ होगा ? हम कृष्ण की पूजा करते हैं, तो मथुरा में मंदिर होना चाहिए अथवा मस्जिद ? अच्छा तो यह है कि मुसलमानों को स्वयं आगे आकर इन स्थानों पर मंदिर निर्माण हेतु कारसेवा करनी चाहिए । हमें विहिप के जाल में नहीं फंसना चाहिए ।असल बात यह है कि विहिप के समाप्त होने का अर्थ है सेक्यूलर नेतृत्व की प्रासंगिकता का भी समाप्त होना | अगर मंदिर विवाद पारस्परिक सहमति से सुलझ जाए तो बेचारों की रोजी रोटी का क्या होगा ? और यही समझने में ओमपाल नेहरा ने भूल कर दी और उनके सेक्यूलर नेतृत्व ने उन्हें बिना देर किये बाहर का रास्ता दिखा दिया | |
MODI secular PM
मोदी पहुंचे नवाज शरीफ के घर – हैना हैरत का मंजर ?
Posted: 25 Dec 2015 06:39 AM PST
“लीक छोड़ तीनहिं चलहिं शायर, सिंह, सपूत” |
कुछ यही उक्ति चरितार्थ होती दिखी आज, जबकि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी “प्रोटोकॉल संचालित” राजनीति को दरकिनार कर अकस्मात लाहौर जा पहुंचे | लाहौर पहुंचकर वे पाकिस्तान के प्रधान मंत्री नवाज शरीफ के घर पहुंचे तथा उनकी पोती के विवाह समारोह में शामिल होकर वधाई दी | भाजपा ने इस अचंभित कर देने वाली घटना का यह कहकर स्वागत किया कि इस कार्य के लिए श्री अटल बिहारी के जन्म दिन से बेहतर दिन नहीं हो सकता था ।
भाजपा महासचिव राम माधव ने कहा कि जैसा कि यूरोपीय संघ और आसियान जैसे दुनिया के कई स्थानों पर है, उसी प्रकार भारत और पाकिस्तान दोनों पड़ोसियों के संबंधों में अनौपचारिकता का समावेश आवश्यक है ।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2007 में कहा था – “मैं उस दिन का सपना देखता हूँ, जब अपनी अपनी राष्ट्रीय पहचान को बनाए रखते हुए भी एक व्यक्ति अमृतसर में नाश्ता, लाहौर में लंच और काबुल में डिनर कर सके । इस स्थिति में हमारे पूर्वज रहे थे और मैं चाहता हूँ कि हमारे बच्चे भी इसी स्थिति में जियें ।
लगता है आज नरेंद्र मोदी ने मनमोहन सिंह के उस सपने को ही साकार किया है । सिंह ने 2011 में काबुल की यात्रा तो कर पाए,किन्तु अपने दस वर्षीय शासनकाल में एक बार भी पाकिस्तान का दौरा नहीं कर सके। शायद उनकी अपनी पार्टी ने उन्हें यह नहीं करने दिया ।
मोदी की आज की इस यात्रा ने उन विरोधियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है, जिनके पास मोदी की कट्टरपंथी छवि ही उनके विरोध का एकमात्र हथियार है ।
हालांकि मोदी की यात्रा का संक्षिप्त पड़ाव इस्लामाबाद नहीं बल्कि लाहौर था। और उद्देश्य भी कोई कूटनीतिक या राजनैतिक चर्चा न होकर नवाज शरीफ को जन्मदिन की बधाई तथा उनकी पोती के विवाह समारोह में सम्मिलित होना भर । लेकिन यह महत्वपूर्ण यात्रा क्रिकेट की भाषा में एक जबरदस्त छक्का है। इस यात्रा के गूढ़ निहितार्थ महत्वपूर्ण है –
असामान्य आकस्मिक कूटनीति !
एक सहज सामान्य मोदी, पाकिस्तान में हर किसी को अचंभित कर रहा है । इससे भारत में विपक्ष भले ही चिंतित हो, किन्तु इतना हरेक मानेगा कि इस प्रकार की सरप्राईज कूटनीति में आशा और उम्मीदों का बोझ कम होटा है | जब भी पाकिस्तान के साथ सम्बन्ध सामान्य करने के प्रयत्न होते हैं, मीडिया का होहल्ला उसके मार्ग का सबसे बड़ा अवरोध बन जाता है । इस यात्रा की न तो मीडिया को भनक लगी और ना ही भारत में विपक्ष को | इसी प्रकार संभवतः पाकिस्तान की सेना और निश्चित रूप से पाकिस्तान में कट्टरपंथियों को भी झटका लगा होगा ।
दूसरे शब्दों में कहें तो पाकिस्तान के साथ अपनाई गई इस गुपचुप कूटनीति से आतंकवाद के नाम पर वार्ता का विरोध करने वालों को विरोध प्रदर्शन का कोई अवसर नहीं मिला । साथ ही पूर्व प्रचारित वार्ता को विफल करने के लिए होने वाली आतंकी घटनाओं की भी कोई समूह योजना नहीं बना सका | कहने को भले ही यह सिर्फ एक जन्मदिन शुभकामना की यात्रा है, किन्तु इसमें भारत-पाकिस्तान संबंधों को सामान्य बनाने का एक भव्य प्रयास अन्तर्निहित हैं।
परवान चढ़ता मोदी-नवाज समीकरण
पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के जन्मदिन पर पाकिस्तान जाकर पाकिस्तान के प्रधान मंत्री नवाज शरीफ को जन्म दिन की वधाई देना, उनके घर जाकर उनकी पोती के विवाह समारोह में सम्मिलित होना, पाकिस्तान और भारत के प्रधानमंत्रियों के बीच अच्छे तालमेल के स्पष्ट संकेत हैं, इससे पाकिस्तानी सेना के साथ पाकिस्तानी शासक के राजनैतिक सम्बन्ध भी प्रभावित होंगे ।
मोदी ने अपने 2014 के शपथ ग्रहण समारोह में अन्य दक्षिण एशियाई नेताओं के साथ नवाज शरीफ को भी आमंत्रित किया था । पेरिस में भी दोनों के बीच हुई संक्षिप्त बैठक में स्पष्ट रूप से दोनों के बीच बेहतर तालमेल के संकेत मिले । इसके बाद यह प्रगाढ़ता पिछले साल नवंबर में काठमांडू में और बढी तथा दोनों नेताओं के बीच एक घंटे की गुप्त बैठक हुई । और आज की यह यात्रा भी भारत पाकिस्तान संबंधों का एक महत्वपूर्ण माईल स्टोन है ।
अफगानिस्तान के बाद पाकिस्तान यात्रा के निहितार्थ –
अफगानिस्तान में भारत की भूमिका को पाकिस्तान में सदा महान संदेह की नजर से देखा जाता है। भारत द्वारा नव निर्मित अफगान संसद का उद्घाटन मोदी ने किया, इसको लेकर पाकिस्तानी कट्टरपंथी दुष्प्रचार करेंगे ही | भारत की खुफिया एजेंसियां अफगानिस्तान में पाकिस्तान विरोधी तत्वों को मदद करती है, यह आरोप लगाने वाले भी पाकिस्तान में कम नहीं है ।
इस दृष्टि से मोदी की लाहौर यात्रा संभवतः भारत की इस सदिच्छा का प्रगटीकरण है कि वह इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता चाहता है | इससे पाकिस्तानी कितने आश्वस्त होते हैं, यह तो आगे पता चलेगा, फिर भी काबुल झटके को नरम करने की यह कोशिश बेमानी नहीं कही जा सकती । इस कदम का निश्चय ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी स्वागत किया जाएगा ।
जन्मदिन पर महज शुभकामना देने के नाम पर हुई इस यात्रा के रूप में खेला जा रहा कूटनीतिक खेल, भारत-पाकिस्तान के बीच अमन की आशा को कितनी बल देगा यह कहना तो कठिन है, किन्तु यह निर्विवाद है कि इंदिरा गांधी के बाद नरेंद्र मोदी भारत के सबसे मजबूत नेता है, क्योंकि वह 30 साल में स्पष्ट बहुमत पाने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं । 25 दिसंबर को लाहौर जाकर जमाया गया यह रणनीतिक मास्टर-स्ट्रोक मोदी ने सही समय पर खेला है ।अब तक यह तोहमत मढी जाती थी कि भारत वार्ता से कन्नी काटता है, किन्तु अब गेंद पाकिस्तान के पाले में है । मोदी का यह लचीला रवैया जितना बदलते मोदी का संकेत है, उतना ही भारत पाकिस्तान के बीच जमी बर्फ के पिघलने का भी | भले ही कश्मीर घाटी में भीषण वर्फबारी जारी है ।
Minor Convicted in India Gang Rape Released After 3 Years
Many protested the release
Source: Minor Convicted in India Gang Rape Released After 3 Years
GK-5463: TO LEARN. TO LOVE. TO LIVE!
Don’t waste a single day. Young or old, each new day brings opportunity. TO LEARN. TO LOVE. TO LIVE.
डीएसी ने 40000 करोड़ की रूसी वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली खरीदने को दी मंजूरी
loot
वाह रे कांग्रेसी सूरमाओ, पैसे बनाने में कितने उस्ताद हो भाईजान !
Posted: 11 Dec 2015 04:15 AM PST
मुंबई के प्रमुख उपनगरीय इलाके में नेहरू स्मारक पुस्तकालय और अनुसंधान केंद्र निर्माण के नाम पर 1983 में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक भूखंड आबंटित किया गया | 3478 वर्ग मीटर की यह भूमि वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे के किनारे, बांद्रा में स्थित है। तीन दशकों तक यह भूभाग खाली पड़ा रहा, उसके बाद अब इस पर एक 11 मंजिला व्यवसायिक इमारत तन रही है ।
स्व. जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रारम्भ किये गए नेशनल हेराल्ड और कौमी आवाज नामक अखबार को संचालित करने वाली इस कम्पनी को बृहन्मुंबई नगर निगम द्वारा दी गई भवन अनुमतियों के अनुसार, इस व्यावसायिक परियोजना में बेसमेंट है, दो स्तरीय पार्किंग हैं, भूतल सहित ग्यारह मंजिलों पर कार्यालयों का निर्माण किया जा रहा है ।
और मजे की बात यह कि नेहरू मेमोरियल लाइब्रेरी का तो प्रस्तावित भवन अनुज्ञा दस्तावेजों में कहीं उल्लेख भी नहीं है। आपाधापी की इस कहानी का छोर इतना भर नहीं है | यह भूमि पहले अनुसूचित जाति के छात्रों के छात्रावास के लिए आरक्षित थी, जिसे साजिश कर हड़प लिया गया ।
अगस्त 1983 में जारी एक आदेश के द्वारा महाराष्ट्र सरकार ने “दैनिक समाचार पत्र के प्रकाशन और नेहरू पुस्तकालय-सह-अनुसंधान संस्थान की स्थापना के लिए” अधिभोग मूल्य के भुगतान पर एसोसिएटेड जर्नल्स (मुंबई) लिमिटेड को यह जमीन आवंटित की।
अतिरिक्त कलेक्टर ने भूमि आबंटन के समय शर्त लगाई थी कि जिस उद्देश्य के लिए भूमि दी गई है, उसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए भवन निर्माण कर उसका इस्तेमाल किया जाएगा |
उसके बाद तीन दशक तक भूमि खाली पडी रही | तभी कांग्रेस नेता राजीव चव्हाण का दिल उस जमीन पर आ गया और उनकी हाउसिंग सोसायटी को इस जमीन का बड़ा हिस्सा सोंप दिया गया | मुंबई के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह भी उक्त सोसायटी के सदस्य थे |
इसी बीच जब बीएमसी सीवेज पम्पिंग स्टेशन के लिए इस भूखंड पर अतिक्रमण हटाने और अपनी सीमाओं में परिवर्तन के लिए सक्रिय थी, तभी एसोसिएटेड जर्नल्स ने भी भूखंड पर निर्माण कार्य पूरा करने के लिए समय सीमा बढ़ाने की अनुमति प्राप्त कर ली ।
वर्ष 2012 के प्रारम्भ में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अध्यक्ष मोतीलाल वोरा ने कंपनी को आवंटित भूखंड पर निर्माण के लिए अनुमति लेने का प्रयत्न शुरू किया । निर्माण के संबंध में एसोसिएटेड जर्नल्स ने बीएमसी को जो आवेदन लगाए, उन सभी में “प्रस्तावित व्यावसायिक कार्यालय भवन” के रूप में इस परियोजना को दर्शाया गया । जून 2013 में प्रस्तावित “वाणिज्यिक निर्माण” प्रारम्भ करने के लिए अनुमति प्रदान कर दी गई ।
2012 में मुंबई के एक आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को पत्र लिख कर मांग की कि चूंकि विगत 30 वर्षों से आबंटित भूमि पर कोई निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं हुआ है, अतः सरकार वह भूमि बापस ले | हालांकि यह काम अब भी हो सकता है, क्योंकि आवंटन शर्तों का पालन नहीं किया गया है ।
निर्माणाधीन इमारत में न तो कोई प्रेस है और नाही कोई नेहरू मेमोरियल लाइब्रेरी के लिए कोई प्रस्ताव | यह स्वतः सिद्ध है कि सरकारी जमीन का ढंग से इस्तेमाल नहीं किया गया। गलगली का कहना है कि वह इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भी पत्र लिखेंगे ।
उपनगरीय कलेक्टर ने 2010 में एसोसिएटेड जर्नल्स को पट्टे की बकाया राशि भुगतान करने के लिए पत्र भी लिखा था | 2006 में आबंटन आदेश के बाद 98,17,440 का भुगतान किया गया था, किन्तु उसके बाद कोई लीज रेंट नहीं दिया गया ।
DESH DHARAM DOSTI
सहिष्णुता केवल हिन्दुओं की ही बपौती !
Posted: 11 Dec 2015 11:41 PM PST